रमाई :- काव्य प्रकार : ओवी
काव्य प्रकार : ओवी थोर माय ती माऊली | किती कष्टाने झिजली | अशी पत्नी गं लाभली | धन्य तो भीमराया || नाही रुसे दागिन्यास | समाजाची लागे आस | जपे किती साहेबास | जनभल्यासाठी गं || विके गोवऱ्या थापून | ऊभी सावली होऊन | पोटी दुःख पचवून | फुलवे आंबराई || अंगी ठिगळाची चोळी…